Analysis

हिंदी कवयित्री पूजा अग्रवाल
पूजा अग्रवाल की लिखित काव्य संग्रह

साहित्यकारों की समीक्षा

पूजा अग्रवाल की कविताओं में युवा स्वर की अभिव्यक्ति है,जहां एक और उसकी उड़ान है,वह समय से समन्वय करना चाहती है और साथ ही समय के सुरमई आगाज़ को अपनी अभिव्यक्ति देना चाहती है। ऐसे में पढ़ने पर महसूस होता है कि लिखना केवल लिखने के लिए नहीं है, अपितु एक नई सोच,नया माध्यम और नए आगाज़ ने जोड़ा है सम्वेदनाओं को और कोमल पक्ष को, कि आज के दौर में लेखन में एक शक्ति है और नई सोच भी, जिसे पूजा अग्रवाल ने इधर आई रिक्तता को भरने का एक प्रयास किया हैं।

नई तकनीक ने जहां प्रसार किया है वही नए लोगों को एक ऐसा मंच भी दिया है जहां आपकी बात मीलों दूर तक पहुंचती है,ऐसे में इस तकनीक का उपयोग करने में भी पूजा पीछे नहीं है, उनकी कई कविताओं को यू ट्यूब के माध्यम से दुनिया के किसी भी हिस्से में सुना जा सकता है ।

इनके नए संग्रह ने पाठकों की उम्मीद बढ़ा दीं है।इधर के नए रचनाकारों में पूजा बहुत तेजी से उभर कर आई है।इस कतार में मुम्बई की राखी कनकने,हल्द्वानी की सौम्या दुआ, दिल्ली की शशि किरण,प्रियंका जादौन, प्रियंका सैनी,आगरा से दीपक सरीन,कुँवर अनुराग, का नाम विशेष उल्लेखनीय है। वैसे यह सूची बहुत लंबी है, पर जो नाम मेरे प्रिय है, जिन्होंने लंबे समय तक सृजनात्मक यात्रा में यात्री की भूमिका अदा करनी है, वह यात्री हमेशा से थोड़े मगर सक्रिय होते है,उनमें से ये एक है जो अपनी परम्परा का निर्वाह करने में सक्षम है ।

मैं पूजा अग्रवाल को शुभकामनाएं देना चाहता हूँ कि वह खूब बेहतर लिखे और रोशन कर दें अंधियारे को अपनी कलम से,अपनी अभिव्यक्ति से।

पुनः बधाई और शुभकामनाएं।

- डॉ लालित्य ललित
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, नई दिल्ली

"कोशिशों की उड़ान" पूजा अग्रवाल का दूसरा काव्य संग्रह है। इसके पूर्व भी "मन का प्रकाश पुंज" नाम से इनका एक काव्य संग्रह आ चूका है जो कि काफी चर्चित रहा। पूजा अग्रवाल एक संवेदनशील कवयित्री हैं। इसलिए शायद इनकी कविताएं संवेदनाओं से भरी होती हैं, आत्मीयता से ओत-प्रोत होती हैं और कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती हैं।

पूजा अपनी कविताओं के माध्यम से समसामयिक समस्याओं, सामाजिक और मानवीय सरोकारों, प्रकृति और प्रेम तथा सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय सन्दर्भों पर भी अपनी पैनी दृष्टि डालती हैं। आज जब सामाजिक वातावरण दूषित और विडंबनाओं से परिपूर्ण है, आम आदमी का जीना दूभर हो गया है, ऐसे में संग्रह की कविताएं पाठक के मन में विश्वास जगाती हैं कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। अभी बहुत कुछ शेष है जिससे ज़िंदगी आसान हो सकती है और यदि कुछ कमी है तो उसे समय रहते दुरुस्त किया जा सकता है।

जहां तक संग्रह की भाषा-शैली का सम्बन्ध है,ऐसा प्रतीत होता है कि शब्द पूजा के अन्तस् से स्वतः निःसृत हो रहे हैं। भाषा सम्प्रेषण का सेतु है। भाषा का उदार और ग्रहणशील होना वाजिब है। अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने जीवन के विभिन्न रूपों को चित्रित किया है।इनमें मिलन है तो विरह भी है, ख़ुशी है तो ग़म भी है, समाज में व्याप्त कुरीतियों का वर्णन है तो प्रेम, भाईचारा और मानवसेवा का सन्देश भी है।

- रणविजय राव
संपादक, लोक सभा सचिवालय, नई दिल्ली

पूजा की कविताओं में ह्रदय की बात है पूजा हमेशा ईमानदारी के साथ केवल और केवल कविता को पूजतीं हैं वो सिर्फ़ पुस्तक में पाठकों को ही नहीं बल्कि मंच पर भी कविता के माध्यम से स्रोताओं को भी नित नया सन्देश देतीं हैं अद्भूत मिलन सार पूजा की लेखनी सदैव हर जगह अपनी अलग ही छाप छोड़ती हैं जीवन का अध्याय सुखद है पूजा का न्याय सुखद है

जीवन को गाती ,जीवन को लिखतीं, पूजा का पर्याय सुखद है पुस्तक प्रकाशन की अशेष शुभकामनाएं

- चम्पेश्वर गोस्वामी
गीतकार, कवि, लेखक